महाभोज उपन्यास पर लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न – मन्नू भंडारी द्वारा रचित उपन्यासों के नाम लिखें।
उत्तर- महाभोज ,आपका बंटी और एक इंच मुस्कान ( राजेन्द्र यादव के साथ संयुक्त रूप से)।
प्रश्न – मन्नू भंडारी की चार कहानियों के नाम लिखें।
उत्तर- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गयी, त्रिशंकु, यही सच है।
प्रश्न – महाभोज उपन्यास किसके द्वारा रचित है?
उत्तर- मन्नू भंडारी के द्वारा रचित है।
प्रश्न- यह किस प्रकार का उपन्यास है?
उत्तर- यह एक राजनीतिक उपन्यास है।
प्रश्न – उपचुनाव कहां हो रहा है?
उत्तर- सरोहा गांव में।
प्रश्न – सुकुल बाबू कौन थे?
उत्तर- सुकुल बाबू राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे और अब सरोहा से विधायक के उम्मीदवार थे।
प्रश्न – सुकुल बाबू के खिलाफ दा साहब ने किस खड़ा किया?
उत्तर- अपने अर्दली लखन को।
प्रश्न – बीसू और बिंदा के पूरे नाम बताएं।
उत्तर- बिसेसर और बिंदेश्वरी प्रसाद।
प्रश्न -अप्पा साहब उर्फ़ सदाशिव अत्रे कौन थे?
उत्तर- दा साहब की पार्टी के अध्यक्ष।
प्रश्न -दा साहब की पार्टी में असंतोष क्यों था?
उत्तर- सरोहा उपचुनाव में पार्टी के सभी बड़े लोग अपने-अपने कैंडिडेट खड़ा करना चाहते थे जबकि दा साहब ने बिना आम राय के अपने आदमी लखन को खड़ा कर दिया। इसके साथ ही सभी दा साहब की नीति की खाल में लिपटी अनीति से भी दबे हुए थे। यही कारण था कि पार्टी में असंतोष व्याप्त था।
प्रश्न – दा साहब ने किस तरह से सबको पटकनी दी?
उत्तर- दा साहब ने हमेशा ठंडे दिमाग (निर्ममतापूर्वक) से कम लिया और पूरे इत्मीनान के साथ बिना कोई अंदेशा दिये, बिना सुराग छोड़े अपने एक-एक विरोधी को ठिकाने लगाया। सुकुल बाबू की पार्टी से आए लोचन बाबू की ईमानदारी के खिलाफ ऐसा वातावरण बनाया कि अनुशासनहीनता के नाम पर उन्हें ही हटा दिया । डीआईजी से झूठी रिपोर्ट बनवाकर बिसू (बिसेसर) की हत्या को पहले आत्महत्या फिर बिंदा (बिंदेश्वरी) के द्वारा हत्या दिखाकर दोनों ईमानदार युवाओं को रास्ते से हटा दिया ।
एसपी सक्सेना को सुस्त और मूर्ख बता कर सस्पेंड करवा दिया तो जोरावर को बिसू की हत्या के आरोप में जेल का डर दिखाकर चुनाव में खड़े होने से रोक दिया। बिसू के पिता हीरा को खुद उसके घर जाकर वहां से अपनी गाड़ी में बिठाकर अपने साथ मंच पर ले जाकर उसी से सरकारी आर्थिक योजना का शुभारंभ करवा कर गांव में हत्या के खिलाफ रोष को अपने प्रति श्रद्धा में बदलवा दिया । इस प्रकार उन्होंने अपने सारे मनसूबे पूरे कर लिए।
© डॉ. संजू सदानीरा