दिवस का अवसान समीप था कविता की मूल संवेदना
दिवस का अवसान समीप था कविता की मूल संवेदना अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हिंदी के एक बहुचर्चित कवि हैं। …
दिवस का अवसान समीप था कविता की मूल संवेदना अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हिंदी के एक बहुचर्चित कवि हैं। …
निज भाषा उन्नति अहै कविता की व्याख्या निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा-ज्ञान के, …
चूरन अमल बेद का भारी गीत की व्याख्या/मूल संवेदना चूरन अमल बेद का भारी। जिस को खाते कृष्ण मुरारी॥ …
न को हार नह जित्त पद की व्याख्या न को हार नह जित्त, रहेइ न रहहि सूरर्वर । घर …
भई जु आनि अबाज आय सहाबुद्दीन सुर पद की व्याख्या भई जु आनि अबाज, आय सहाबदीन सुर । आज …
निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद उभय मय पद की व्याख्या निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद …
बज्जिय घोर निसान रान चौहान चहुं दिस पद की व्याख्या बज्जिय घोर निसान, रान चौहान चहुं दिस। सकल सूर सामंत, …
उहै घरी उहि पलनि, उहै बिना पद की व्याख्या उहै घरी उहि पलनि, उहै बिना यर उहै सजि । …
सोधि जुगति कौ कन्त, कियौ तब चित्त चहुं दिस पद की व्याख्या सोधि जुगति कौ कन्त, कियौ तब चित्त …
मनहुं कला ससिभान पद की व्याख्या मनहुं कला ससिभान, कला सोलह सो बन्निय । बाल बेसि ससि ता समीप, अम्रित …