तुलसीदास रचित “कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो” पद की व्याख्या : Kabhunk haun yahi rahani rahaungo
कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो।
या लकुटी अरु कामरिया पर पद की व्याख्या प्रसंग- या लकुटी अरु कामरिया पर पद (सवैया) अनन्य कृष्ण भक्त कवि …
तुलसीदास की भक्ति भावना : Tulsidas ki bhakti bhawna तुलसीदास का राम भक्ति शाखा में योगदान रेखांकित करें। अथवा …
सूरदास की भक्ति भावना : Surdas ki bhakti bhawna प्रश्न:सूरदास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक लेख लिखिए। अथवा …
मन पछितैंहैं अवसर बीते पद की व्याख्या : Man pachhitaihain avsar beete “मन पछितैंहैं अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ …
मीराबाई की भक्ति भावना : Meerabai ki bhakti bhawna मीराबाई की भक्ति भावना सर्वविदित है। मीराबाई राजस्थान की प्रसिद्ध …
कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो।
तुलसीदास रचित “ऐसो को उदार जग माहीं” पद की व्याख्या : Aeso ko udaar jag maahi ऐसो को उदार …
व्याकरण और वर्ण विचार : Hindi Grammar जिस शास्त्र के अध्ययन से हमें शुद्ध शुद्ध लिखना पढ़ना और बोलना आता …
भक्ति काल और भक्ति काल के भेद : Bhakti kaal aur bhakti kaal ke bhed भक्ति काल और भक्ति काल …
जो निज मन परि हरै विकारा पद की व्याख्या “जो निज मन परि हरै विकारा । तौ …