विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 2025 : थीम, इतिहास, महत्त्व, चुनौतियां और संभावनाएं

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 2025 (World mental health day) : थीम, इतिहास, महत्त्व, चुनौतियां और संभावनाएं

 

भारत जैसे देशों में आज भी मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना इतना आसान नहीं है। किसी को मानसिक सेहत से जुड़ी समस्याएं होने पर या तो उसे ‘अति संवेदनशील’ कहकर स्थिति की गंभीरता को अनदेखा किया जाता है या फिर उसे ‘पागल’ करार दिया जाता है। इसे एक तरह से टैबू समझा जाता है इसलिए लोग इस पर बात करने से हिचकिचाते हैं। जबकि दिन-प्रतिदिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा, संसाधनों का असमान वितरण, जलवायु परिवर्तन संबंधी विभिन्न पर्यावरणीय कारक मानसिक समस्याओं के प्रति जोख़िम बढ़ा रहे हैं।

इसलिए प्रत्येक वर्ष मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने और लोगों तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दुनिया भर में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) के तौर पर मनाया जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य कोअनदेखा किया जाना बेहद ख़तरनाक साबित हो रहा है। उचित चिकित्सकीय देखभाल के अभाव में आबादी के एक बड़े हिस्से को मानसिक स्वास्थ्य जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) का महत्त्व और भी अधिक हो जाता है।

 

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day)

प्रत्येक वर्ष मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने और लोगों तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दुनिया भर में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाना और ज़रूरतमंद लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस दिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सरकारी-ग़ैर सरकारी, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगठन और संस्थाएं दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं। जिससे मानसिक बीमारियों के प्रति टैबू और ग़लत धारणाओं तथा पूर्वाग्रहों को कम किया जा सके और सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके।

 

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

पहली बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 1992 को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) के उप महासचिव रिचर्ड हंटर की अगुवाई में शुरू किया गया था। ग़ौरतलब है कि वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एक अंतर्राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संगठन है। इसकी स्थापना 1948 में की गई थी, वर्तमान में 150 से भी अधिक देश इसके सदस्य हैं। हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य से जुड़े दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न जागरुकता कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करता है।

 

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) की थीम

1994 में तत्कालीन महासचिव यूजिंग ब्रैडी के परामर्श पर पहली बार किसी थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था। 1994 की पहली थीम थी- “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार”। इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम है- “सेवाओं तक पहुँच – आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य (Access to Services – Mental Health in Disasters and Emergencies)

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की लगभग 60% आबादी वैतनिक कार्यों से जुड़ी है। इन सभी का मानसिक स्वास्थ्य न सिर्फ़ व्यक्ति के लिए बल्कि संस्थाओं के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के ही एक आकलन के अनुसार, प्रतिवर्ष स्ट्रेस और डिप्रेशन की वजह से उत्पादकता में कमी आती है जिससे दुनिया को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए कार्य स्थलों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जोख़िम को कम करने और कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए त्वरित और उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

 

महिलाएं और मानसिक स्वास्थ्य

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार एंजायटी, डिप्रेशन और फूड डिसऑर्डर जैसी मानसिक सेहत से जुड़ी समस्याएं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती हैं। इसके लिए शारीरिक बनावट के साथ ही भेदभावपूर्ण सामाजिक संरचना भी ज़िम्मेदार है। किशोरवय से ही महिलाओं में होने वाले पीरियड्स, प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव मूड स्विंग और स्ट्रेस का कारण बनते हैं। इसके अलावा बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी देखभाल की वज़ह से पर्याप्त नींद और समय पर भोजन न मिल पाने से डिप्रेशन जैसी स्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।

इसके अलावा भारतीय पारंपरिक शादियों में कन्या विदाई जैसी कुप्रथाओं से महिलाओं को विस्थापन के दर्द से गुज़रना पड़ता है। इस वजह से इन्हें अपना घर-परिवार, दोस्त, यहां तक कि बहुत बार नौकरी भी छोड़नी पड़ जाती है। इसके साथ ही नया घर और नए माहौल में पूरी तरह से अपनी जीवन शैली और आदतों को बदलने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है। ये सारी बातें मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर डालती हैं। ‘द गार्जियन’ में प्रकाशित रिपोर्ट और दुनिया भर में किए गए विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि तुलनात्मक रूप से अविवाहित महिलाएं ज़्यादा खुश रहती हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य विवाहित महिलाओं की तुलना में बेहतर होता है।

 

मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य में संबंध

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर डालते हैं जिससे उनका ख़ुद का स्वास्थ्य तो प्रभावित होता ही है उनकी उत्पादकता में भी कमी आती है। इसके साथ ही संबंधित व्यक्ति के रिश्तों पर भी बुरा असर पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। स्वास्थ्य से जुड़े अध्ययनों में पाया गया है कि स्ट्रेस, डिप्रेशन इत्यादि मानसिक समस्याओं का संबंध जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से भी है।

डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ओबेसिटी, माइग्रेन, थायराइड और नींद से जुड़ी बीमारियां सीधे तौर पर व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं। अब तो गंभीर और क्रॉनिक बीमारियों का भी मानसिक बीमारियों से लिंक पाया गया है। तनाव और डिप्रेशन की अवस्था में कई बार व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है जिससे उसके सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा अराजक और आपराधिक गतिविधियों के पीछे भी मानसिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां और संभावनाएं

सबसे पहले तो समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि मानसिक बीमारियों को शारीरिक बीमारियों की तरह सामान्य लिया जाए और इस पर बात की जाए। इसके साथ ही इसके इलाज में झाड़-फूंक, टोना-टोटका जैसे अंधविश्वास की बजाय प्रशिक्षित और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से उपचार कराने वाली मानसिकता को बढ़ावा दिया जाए।

इसके अलावा भारत जैसे विकासशील देश में जहां अधिकतर आबादी अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रही है वहां मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) एक अच्छा मौका है जहां मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े समस्याओं पर बात की जाए और इसकी व्यावहारिक उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। इसके लिए सरकार के साथ ही समाज को भी आगे आना होगा जिससे सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके।

 

© प्रीति खरवार

भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर

 

Priti Kharwar

प्रीति खरवार एक स्वतंत्र लेखिका हैं, जो शोध-आधारित हिंदी-लेखन में विशेषज्ञता रखती हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में परास्नातक प्रीति सामान्य ज्ञान और समसामयिक विषयों में विशेष रुचि रखती हैं। निरंतर सीखने और सुधार के प्रति समर्पित प्रीति का लक्ष्य हिंदी भाषी पाठकों को उनकी अपनी भाषा में जटिल विषयों और मुद्दों से सम्बंधित उच्च गुणवत्ता वाली अद्यतन मानक सामग्री उपलब्ध कराना है।

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