वाक्य विचार
परिभाषा
शब्दों का ऐसा सार्थक समूह जो सुव्यवस्थित हो और अपना पूरा आशय स्पष्ट करे, उसे वाक्य कहा जाता है।
वाक्य बनाते समय अर्थात् वाक्य की रचना करते समय निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1. अधिकतर कर्त्ता को वाक्य के शुरू में ही रखा जाता है।
2. क्रिया वाक्य के अन्त में रखी जाती है।
3. कारक और अन्य शब्द आवश्यकतानुसार कर्त्ता और क्रिया के बीच में रखे जाते हैं।
4. विशेषण जिस शब्द का होता है, उस शब्द के पहले रखा जाता है।
5. सम्बोधन कारक कर्त्ता से पहले रखा जाता है ।
6. पूर्ण विराम वाक्य के अन्त में आता है।
वाक्य के अंग –
वाक्य के मुख्यतः दो अंग या विभाग होते हैं- उद्देश्य, विधेय ।
1. उद्देश्य- जिसके विषय में कहा जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है।
2. विधेय- जो कुछ उद्देश्य के बारे में कहा जाता है, वह विधेय कहलाता है ।
उदाहरण-
1. निशि रात में पढ़ती है।
2. रोहित दूध नहीं पीता है।
3. मेंढक वर्षा के दिनों में बोलते हैं।
4. कोयल बाग में कूकती है।
5. अरे ! वह लड़की आ रही है।
6. अर्चना गाना गाती है।
इनमें वाक्य नं. (1) में निशि, (2) में रोहित, (3) में मेंढक, (4) में कोयल, (5) में लड़की (6) में अर्चना के बारे में कहा गया है, इसलिए ये उद्देश्य कहलाते हैं। इनमें उनके बारे में पढ़ने, पीने, बोलने, कूकने, आने तथा गाने के बारे में कहा जा रहा है, इसलिए ये विधेय कहलाते हैं।
वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्न आठ भेद बताये जाते हैं –
विधान वाचक या कथनात्मक वाक्य
निषेधवाचक या नकारात्मक वाक्य
विधिवाचक या आज्ञार्थक वाक्य
प्रश्नवाचक वाक्य
इच्छावाचक वाक्य
संदेहवाचक वाक्य
विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य
संकेतवाचक वाक्य
1.विधानवाचक या कथनात्मक वाक्य
किसी व्यक्ति या वस्तु के संबंध में सामान्य कथन या व्यक्ति अथवा वस्तु की अवस्था का बोध कराने वाले वाक्य को कथनात्मक अथवा सकारात्मक वाक्य कहते हैं।
यथा- (क) छात्राएं पढ़ रही हैं। (ख) शिक्षिका पढ़ा रही हैं।
2.निषेधवाचक या नकारात्मक वाक्य
यह ऊपर वाले वाक्य का उल्टा होता है। यानि इस प्रकार के वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में किसी सामान्य कथन का निषेध किया जाता है। ऐसे वाक्य में ‘न’, ‘नहीं’आदि का प्रयोग किया जाता है।
यथा- (क)छात्राएं नहीं पढ़ रही हैं। (ख) शिक्षिका नहीं पढ़ा रही हैं।
3.विधिवाचक या आज्ञार्थक वाक्य
जिन वाक्यों में आज्ञा, निर्देश अथवा प्रार्थना इत्यादि का बोध प्रकट हो,ऐसे वाक्यों को विधिवाचक या आज्ञार्थक वाक्य कहा जाता है। यथा- (क) इस कविता का स्वर पाठ करो। (ख) खिड़की बंद करो।(ग) कृपया इनकी मदद कीजिए।
4.प्रश्नवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में किसी प्रकार का प्रश्न पूछा जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता है। सभी कथनात्मक वाक्यों को निषेधात्मक और प्रश्नवाचक वाक्यों में बदला जा सकता है।यथा -(क)क्या छात्राएं पढ़ रही हैं?(ख)क्या शिक्षिका पढ़ा रही हैं?
इन्हें प्रश्नवाचक और नकारात्मक दोनों में बदला जा सकता है। यथा – (क)क्या छात्राएं नहीं पढ़ रही हैं?(ख) क्या शिक्षिका नहीं पढ़ा रही हैं?
5. इच्छावाचक वाक्य
जिन वाक्य में वक्ता अपने या किसी दूसरे के लिए कोई कामना व्यक्त करता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहा जाता है। यथा-(क) काश! कहीं से पैसे मिल जाते! (ख) आपकी यात्रा मंगलमय हो!
ऐसे वाक्यों के अंत में पूर्ण विराम की जगह विस्मयादिबोधक चिह्न लगाया जाता है।
6.संदेहवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में वक्ता किसी बात के लिए संदेह अथवा आशंका व्यक्त करें,उन वाक्यों को संदेहवाचक वाक्य कहा जाता है। यथा-(क) संभवतः शाम तक बारिश हो। (ख) हो सकता है,बस निकल गई हो।
7.विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य
जिन वाक्यों में किसी वस्तु अथवा व्यक्ति को देखकर या उनके बारे में आश्चर्यजनक व्यक्तव्य दिया जाये, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों में मनोभावों (विस्मय,,घृणा,प्रेम ,हर्ष ,शोक इत्यादि) का प्रदर्शन किया जाता है उन्हें भी विस्मयादिबोधक वाक्य कहा जाता है। यथा-
(क) वाह! हम मैच जीत गये!
(ख)शाबाश! बहुत बढ़िया काम!
(ग)कितना सुन्दर दृश्य!
(घ)अद्भुत नजारा!
8.संकेतवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में किसी बात की पूर्ति किसी दूसरी बात पर निर्भर हो, अर्थात किसी शर्त का आभास हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहा जाता है। यथा -(क)यदि पढ़ोगे तो पास होंगे। (ख) यदि जल्दी आ जाओगे तो मिठाई मिलेगी।
बनावट या रचना के आधार पर वाक्य के भेद
बनावट या रचना के आधार पर वाक्य के निम्न तीन भेद हैं
1. साधारण वाक्य
जिसमें एक उद्देश्य, एक विधेय और एक मुख्य क्रिया होती है। यथा- सावित्रीबाई फुले ने कन्या विद्यालय खोले।
2. मिश्र वाक्य
एक प्रधान उपवाक्य और एक या अधिक उपवाक्यों से मिलकर बना हुआ वाक्य मिश्र वाक्य कहलाता है।
यथा- ज्योतिबा फुले ने कहा कि समानता सभी का मूल अधिकार है।
3. संयुक्त वाक्य
यह दो या अधिक स्वतन्त्र उपवाक्यों से मिलकर बनता है। यथा- निशि हंसती है और विनीता गाती है।
तीनों वाक्यों के अन्य उदाहरण निम्नांकित है-
1. राम विद्यालय जाता है। (साधारण वाक्य)
2. गुरुजी ने कहा कि आज विद्यालय में अवकाश रहेगा (मिश्र वाक्य)
3. रवि आगरा गया और संजू जयपुर गयी। (संयुक्त वाक्य)
उपवाक्य के भेद
उपवाक्य वास्तव में छोटे-छोटे वाक्य होते हैं। जब एक ही पूर्ण अर्थ या विचार को प्रकट करने के लिए एक से अधिक वाक्यों का प्रयोग करना पड़ता है, तब ये ही वाक्य उपवाक्य कहलाते हैं। वाक्य के इन उपवाक्यों में एक-एक कर्ता और एक-एक मुख्य किया होती है।
उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
1. स्वतन्त्र उपवाक्य (समानाधिकरण उपवाक्य)
जो उपवाक्य किसी अन्य उपवाक्य अथवा प्रधान उपवाक्य के आश्रित नहीं होता, अपितु उनके समकक्ष ही अपना समान अधिकार रखता है,वह स्वतंत्र उपवाक्य होता है। ये संयोजक शब्दों द्वारा जुड़े रहते हैं। जैसे वह निर्धन है, किन्तु ईमानदार है।
2. प्रधान उपवाक्य-
यह किसी के आश्रित नहीं होता। अन्य उपवाक्य इसके आश्रित होते हैं।
3. आश्रित उपवाक्य-
जो प्रधान उपवाक्य अथवा अन्य किसी उपवाक्य के आश्रित होता है।
आश्रित उपवाक्य के भेद
1. संज्ञा उपवाक्य –
यह संज्ञा का काम करता है। अधिकांश संज्ञा उपवाक्य ‘कि’ समुच्चयबोधक अव्यय से प्रारम्भ होते हैं जैसे डाक्टर ने कहा कि रोगी अब खतरे से बाहर है।
2. विशेषण उपवाक्य –
यह विशेषण का काम करता है। जैसे यह वही छात्र है, जो कल नया प्रविष्ट हुआ है।
3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य –
यह क्रिया विशेषण का काम करता है।जैसे उसकी पुस्तक वहीं पर मिली,जहाँ उसने रखी थी।
वाक्य-विश्लेषण (मिश्र वाक्य)-
1. छात्राओं ने गुरुजी से कहा कि वे पुस्तकें, जो कल आपने पुस्तकालय से दी थी, बहुत अच्छी हैं।
(क) छात्राओं ने कहा-प्रधान उपवाक्य
(ख) कि वे पुस्तकें बहुत अच्छी हैं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य
(ग) में ‘कहा’ किया का कर्म।
(घ) जो कल आपने पुस्तकालय से दी थी-आश्रित विशेषण उपवाक्य,
(च) में ‘पुस्तकें’ की विशेषता प्रकट करता है।
सम्पूर्ण वाक्य मिश्र वाक्य है।
संयुक्त वाक्यों के वाक्य विश्लेषण-
गंगा किनारे की बस्तियाँ साधारण वर्षों में वहीं बसी रहती हैं, किन्तु तीव्र बाढ़ के समय उठ जाती है।
(क) गंगा-किनारे की बस्तियाँ साधारण वर्षों में वहीं बसी रहती हैं- प्रधान उपवाक्य
(ख) किन्तु तेज बाढ़ के समय उठ जाती हैं- प्रधान उपवाक्य ।
‘क’ का समानाधिकरण ।
सम्पूर्ण वाक्य ‘संयुक्त वाक्य’ हैं।
इस प्रकार जिस शब्द समूह का पूरा -पूरा अर्थ निकले, उसे वाक्य कहते हैं। रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं – साधारण,मिश्र और संयुक्त। पुनः इनके उपर्युक्त कई भेदोपभेद होते हैं।
© डॉ. संजू सदानीरा


