निज भाषा उन्नति अहै कविता की व्याख्या
निज भाषा उन्नति अहै कविता की व्याख्या निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा-ज्ञान के, …
निज भाषा उन्नति अहै कविता की व्याख्या निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा-ज्ञान के, …
चूरन अमल बेद का भारी गीत की व्याख्या/मूल संवेदना चूरन अमल बेद का भारी। जिस को खाते कृष्ण मुरारी॥ …
रस एवं रस के भेद रस भारतीय काव्यशास्त्र में प्राचीन समय से समझा और परिभाषित किया जाता रहा है। …
न को हार नह जित्त पद की व्याख्या न को हार नह जित्त, रहेइ न रहहि सूरर्वर । घर …
संजू सदानीरा की चुनी हुई कविताएं 1. मजबूत इरादों वाली औरतें, जो अपनी शर्तों पर जीती हैं अपना जीवन, नहीं …
समकालीन कविता साहित्य के अनेक जानकार नयी कविता और साठोत्तरी कविता को ही समकालीन कविता बताते रहते हैं कुछ …
भई जु आनि अबाज आय सहाबुद्दीन सुर पद की व्याख्या भई जु आनि अबाज, आय सहाबदीन सुर । आज …
निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद उभय मय पद की व्याख्या निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद …
बज्जिय घोर निसान रान चौहान चहुं दिस पद की व्याख्या बज्जिय घोर निसान, रान चौहान चहुं दिस। सकल सूर सामंत, …
सुनि गज्जनै आवाज पद की व्याख्या सुनि गज्जनै आवाज, चढ्यो साहाबदीन बर। पुरासान सुलतान, कास काविलिय मीर घर। जंग …