एक ज़मीन अपनी उपन्यास की मूल संवेदना

 

एक ज़मीन अपनी उपन्यास की मूल संवेदना

 एक ज़मीन अपनी प्रख्यात उपन्यासकार चित्रा मुद्गल द्वारा रचित एक अत्यन्त चर्चित उपन्यास है। आधुनिक काल में ऐसे उपन्यासों के सृजन का चलन बढ़ा है।

इस उपन्यास में मध्यवर्गीय परिवारों की दो लड़कियों नीता और अंकिता के संघर्षों की कहानी है। एक ज़मीन अपनी उपन्यास में इस मुख्य कथा के साथ- साथ कुछ अवांतर कथाएँ भी समानांतर चलती हैं, मसलन,अंकिता के परिवार की कहानी,मेहता की घरेलू जिंदगी और सबसे महत्वपूर्ण विज्ञापन जगत की सच्चाई से जुड़ी छोटी- छोटी कहानियाँ।

एक जमीन अपनी उपन्यास में वस्तुओं के उत्पादन के बाद उनके विज्ञापन और उसकी प्रक्रिया को भी मूल विषय की तरह ही रखा गया है। इसे पढ़ते समय ममता कालिया के उपन्यास “दौड़ ” की याद आती है,जो कभी कहीं- कहीं इससे मिलता- जुलता है। वस्तुओं के निर्माण के बाद उनके विज्ञापन की प्रक्रिया समझाने के क्रम में इसमें मॉडलिंग,फिल्म निर्माण (ऐड फिल्म), सम्पादन (एडिटिंग), स्क्रिप्ट राइटिंग, कैमरा, शूटिंग,मॉडल्स (स्त्री और पुरुष अभिनेता) इत्यादि पर बारीकी से बात की गई है। 

उपन्यास चूँकि एक बड़ी रचना होती है, इसीलिए उसमें एक मुख्य कथा के साथ-साथ अन्य कहानियाँ चलती हैं, जैसा कि प्रारंभ में बताया गया है। मुख्य कथा में एक तरफ अंकिता के जीवन मूल्य,उसकी सिद्धांतवादिता, परिश्रम करने की आदत,समय की पाबंदी और परिवार के प्रति जुड़ाव को दिखाया गया है,तो दूसरी तरफ नीता के स्वभाव की उच्छृंखलता,समय के प्रति पाबंद न होना और जीवन के प्रति बहुत अधिक प्रैक्टिकल होना दिखाया गया है।

उपन्यास के अन्त में उपन्यासकार ने अंकिता को एक सफल एडवरटाइजिंग कम्पनी की नौकरी दिलवा कर उसके सुदृढ़ भविष्य को दिखाया है तो दूसरी तरफ नीता के जीवन का दुखद अन्त दिखाया है। प्रकारांतर से उपन्यासकार ने जीवन के प्रति अपने मूल्यों का परिचय दिया है, जो पारंपरिक ही है (आदर्शों की जीत और उत्ऋखंल स्त्री की मृत्यु) । 

उपन्यास में तिलक,शेट्टी,मेहता,मैथ्यू और सुधांशु जैसे पुरुष पात्रों के माध्यम से पुरुषों की अलग-अलग मानसिकताओं का भी उद्‌घाटन किया गया है। विज्ञापन एजेंसियों में होने वाले स्त्री- देह के इस्तेमाल और काम के लिए होने वाले छल-प्रपंचों का बड़ी बेबाकी से चित्रण किया गया है।उपन्यासकार द्वारा चकाचौंध की दुनिया के अंधेरों को पूरी निर्दयता के साथ उद्‌घाटित किया गया है।

मूल संदेश के रूप में दिखाया गया है कि इंसान अगर ईमानदार है तो उसे पग-पग पर इम्तिहान देने पड़ते हैं लेकिन एक दिन उसे उसकी ईमानदारी और मेहनत के कद्रदान के रूप में भोजराज जैसा पारखी इंसान भी मिलता है। साथ ही अंकिता और मेहता की दोस्ती दिखाकर उपन्यासकार ने कहना चाहा है, कि स्त्री और पुरुष न सिर्फ पति-पत्नी बल्कि अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं। उपन्यासकार ने व्यावसायिक जगत की गला काट प्रतिस्पर्धा,कार्यस्थलों का महिला विरोधी वातावरण और आपसी खींचतान जैसी बातों का भी चित्रण किया है।

सारांशतः एक ज़मीन अपनी उपन्यास में विज्ञापन जगत की कठोर सच्चाइयों के साथ-साथ वैवाहिक संबंधों की विडम्बना और मनुष्य के व्यक्तिगत संघर्ष को मर्मस्पर्शी तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

© डॉक्टर संजू सदानीरा

 

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Priti Kharwar

प्रीति खरवार एक स्वतंत्र लेखिका हैं, जो शोध-आधारित हिंदी-लेखन में विशेषज्ञता रखती हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में परास्नातक प्रीति सामान्य ज्ञान और समसामयिक विषयों में विशेष रुचि रखती हैं। निरंतर सीखने और सुधार के प्रति समर्पित प्रीति का लक्ष्य हिंदी भाषी पाठकों को उनकी अपनी भाषा में जटिल विषयों और मुद्दों से सम्बंधित उच्च गुणवत्ता वाली अद्यतन मानक सामग्री उपलब्ध कराना है।

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