न को हार नह जित्त पद की व्याख्या

न को हार नह जित्त पद की व्याख्या

 

न को हार नह जित्त, रहेइ न रहहि सूरर्वर ।

घर उप्पर भर परत, करत अति जुद्ध महाभर ॥

कहाँ कमध कहीँ मथ्थ, कहाँ कर चर व अंत रुरि ।

कहीँ कंध वहि तेग, कहाँ सिर जुट्टि फुट्टि उर ॥

कही दंत मंत हय पुर घुपरि, कुंभ भ्रसु डह रुंढ़ सब ।

हिंदवान रान भय भांन मुष, गहयि तेग चहुबान जय ॥

 

प्रसंग

प्रस्तुत पद्यांश आदिकाल के लोकप्रिय महाकवि चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य पृथ्वीराजरासो के बीसवें सर्ग पद्मावती समय से लिया गया है।

 

संदर्भ

इस पद में पृथ्वीराज चौहान और शहाबुद्दीन गौरी के बीच चल रहे भयंकर युद्ध को चित्रित किया गया है।

 

व्याख्या

शहाबुद्दीन गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच भयंकर युद्ध चल रहा है। इस युद्ध में न तो कोई हारता है न ही कोई जीतता है। दोनों के ही सैनिक समान बल से भरे हुए हैं। दोनों ही सेनाओं के युद्धवीर किसी भांति रोके नहीं रुक रहे हैं। योद्धा युद्ध करते हुए मरकर टुकड़ों में ज़मीन पर गिर रहे हैं।

सभी महापराक्रमी योद्धा भीषण रूप से युद्ध में जुटे हुए हैं। मार-काट के बीच कहीं पर शूरों के कटे हुए धड़ पड़े हुए हैं, कहीं उनके सर। कहीं हाथ पैर दिखाई दे रहे हैं तो कहीं पर मरे हुए योद्धाओं की अंतड़ियां बिखरी हुई हैं। कहीं तलवार से कट कर किसी का कंधा अलग हो गया है तो कहीं योद्धाओं के सर आपस में टकरा रहे हैं तो कहीं किसी योद्धा की छाती तलवार के वार से फट रही है।

कहीं पर मदमस्त हाथियों के दांत धूल में पड़े हैं, कहीं पर घोड़ों के खुर और खोपड़ियां कटे हुए पड़े हैं। जब हिंदुओं के राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपने हाथ में तलवार पकड़ी तो उनके चेहरे पर सूर्य के समान तेज दिखाई दे रहा है। हाथ में तलवार पकड़ कर वे चौहानों की जय करते हुए प्रतीत हो रहे हैं।

 

विशेष

 

1.पृथ्वीराज चौहान और शहाबुद्दीन गौरी के बीच युद्ध का चित्रात्मक वर्णन किया गया है।

 

2.चंदबरदाई ने शत्रु की सेना का वर्णन करते समय उनकी वीरता को भी पूरी ईमानदारी से चित्रित किया है।

 

3.युद्ध के मैदान का दृश्य स्वाभाविक बन पड़ा है।

 

4.यह पद चाक्षुष बिम्ब का सटीक उदाहरण है।

 

5.वीभत्स रस का परिपाक हुआ है।

 

6.भाषा अपभ्रंश से प्रभावित है।

 

7.शैली वर्णनात्मक है।

 

© डॉक्टर संजू सदानीरा

 

भई जु आनि अबाज आय सहाबुद्दीन सुर पद की व्याख्या

Dr. Sanju Sadaneera

डॉ. संजू सदानीरा एक प्रतिष्ठित असिस्टेंट प्रोफेसर और हिंदी साहित्य विभाग की प्रमुख हैं।इन्हें अकादमिक क्षेत्र में बीस वर्षों से अधिक का समर्पित कार्यानुभव है। हिन्दी, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान विषयों में परास्नातक डॉ. संजू सदानीरा ने हिंदी साहित्य में नेट, जेआरएफ सहित अमृता प्रीतम और कृष्णा सोबती के उपन्यासों पर शोध कार्य किया है। ये "Dr. Sanju Sadaneera" यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी शिक्षा के प्रसार एवं सकारात्मक सामाजिक बदलाव हेतु सक्रिय हैं।

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