शिक्षा और शिक्षक: एक अंतर्संबंध

 

शिक्षा और शिक्षक: एक अंतर्संबंध

शिक्षा की सीधी सी परिभाषा है” खाली दिमाग को खुले दिमाग में बदलना।” अंग्रेजी में कहावत है “Education is the third eye”: अर्थात् जो कुछ भी हमें हमारी दो पार्थिव आंखों से दिखाई नहीं देता, उसे भी जो दिखा दे, वस्तुत: शिक्षा वही है। दरअसल शिक्षा को लेकर हमारी अवधारणा में ही कहीं न कहीं गड़बड़ है। हमने किताबी बातों को, जानकारी को ही शिक्षा समझ लिया है, जबकि सच तो यह है कि जानकारी और ज्ञान में एक बड़ा अंतर है।

दुनिया की सारी भौगोलिक तथात्मक बातें, आर्थिक मूल्यांकन सभी जानकारी है और एक लम्बी चिंतन प्रक्रिया के बाद जब ये हमारे व्यवहार और सोच का हिस्सा बनती हैं, तभी ज्ञान का रूप धारण कर पाती हैं। हमारी शिक्षा पद्धति ज्ञानात्मक और क्रियात्मक रही ही नहीं बनी जितनी भी संक्रामक सामाजिक समस्याएं हैं, शिक्षा से उनके खिलाफ जागृति आती। सिर्फ पाठ पढ़ाना, प्रश्नों के उत्तर करवाना प्रकारांतर से पाठ्यक्रम पूरा कराना ‘गुरुजनों’ का ध्येय रह गया है। तभी तो ‘विद्यार्थी’ भी ‘विद्या’ के ‘ अर्थी’ नहीं विद्या की अर्थी उठाने वाले बन रहे हैं। 

सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे यहां शिक्षकों को बनाने की लंबी प्रक्रिया शिक्षक नहीं बना रही, बेरोजगारों की फौज जमा कर रही है। मुझे कभी नहीं लगता एक प्रशिक्षित अध्यापक अप्रशिक्षित से श्रेष्ठ होता है। क्योंकि शिक्षा देने और लेने का भाव शरीर में लहू बनने की तरह प्राकृतिक होता है। गांधी जी की बात याद दिलाना चाहूंगी कि एक अच्छे अध्यापक को वात्सल्य से भरा होना चाहिए। कितने अध्यापकों में ये गुण हैं, पाठक स्वयं ढूंढें।
 एक और बात कि “ज्ञान शंकाओं को जन्म देता है”, गेटे के इस कथन पर विचार करने की आज महती आवश्यकता है। आज का विद्यार्थी, प्रकृति से जुड़ा नहीं है क्योंकि जोड़ा नहीं जा रहा, वह पैकेट बंद खाद्य खा रहा है क्योंकि शिक्षा कहीं कुछ संदेश नहीं दे रही, वह लड़कियों की इज्जत नहीं कर रहा क्योंकि प्रत्यक्षतः ऐसा कुछ बताया नहीं जा रहा। अतः अंत में निष्कर्ष इतना ही कि जब तक शिक्षा को व्यवहारिक और क्रियात्मक नहीं बनाया जाएगा, तब तक ये ग्लोबल वार्मिंग और इस जैसी सभी समस्याएं बढ़ेंगी, घटेंगी नहीं क्योंकि शिक्षा महज किताबी ज्ञान नहीं वरन् वातावरण से समायोजन का दूसरा नाम है।
 
 © डॉ. संजू सदानीरा 

4 thoughts on “शिक्षा और शिक्षक: एक अंतर्संबंध”

  1. शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की वर्तमान स्थिति को व्यक्त करता बेहतरीन आलेख 👏🙏

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