हिन्दी साहित्य का इतिहास : महत्त्वपूर्ण बिन्दु
हिन्दी साहित्य का इतिहास दसवीं शताब्दी के बाद से माना जाता है। साहित्य में भाषा के आगमन के बाद भाषा का साहित्य विकसित होता है, तत्पश्चात भाषा के साहित्य का इतिहास अस्तित्व में आता है।
हिंदी भाषा का अस्तित्व विद्वान दसवीं शताब्दी से स्वीकार करते हैं और इसी तर्ज़ पर दसवीं शताब्दी के बाद ही हिंदी साहित्य का प्रादुर्भाव माना जाता है। भाषा और साहित्य के बाद बारी आती है, इतिहास की। हिंदी भाषा में साहित्य लिखे जाने की परंपरा के प्रारंभ के पश्चात हिंदी साहित्य का इतिहास लिखने की परंपरा का सूत्रपात होता है।
इस क्रम में हिंदी साहित्य के प्रथम इतिहास लेखन का श्रेय फ्रेंच विद्वान गार्सा द तासी को दिया जाता है। गार्सा द तासी ने फ्रेंच भाषा में पहली बार हिंदी साहित्य का इतिहास सन 1839 में लिखा जिसका नाम है- इस्तवार द ला लिटरेव्यूर एंदुई ऐंदुस्तानी। इसका दूसरा भाग 1847 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। इन्होंने काल विभाजन एवं युगीन परिस्थितियों का चित्रण नहीं किया अतः यह नाममात्र को ही इतिहास है परंतु प्रथम इतिहास लेखन का श्रेय इन्हें दिया जाएगा ।
हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास ग्रंथ (और हिंदी भाषा में रचित प्रथम इतिहास ग्रंथ) है- ‘शिव सिंह सरोज’, इसके लेखक हैं -शिव सिंह सेंगर। इस ग्रंथ का प्रकाशन वर्ष 1883 ई. है। इन्होंने 713 ई से हिंदी साहित्य का प्रारंभ माना है और इन्होंने अपने ग्रंथ में हिंदी के 1000 लेखकों को सम्मिलित किया है । हिंदी साहित्य का अंग्रेजी भाषा में प्रथम साहित्येतिहास ग्रंथ है- ‘द मॉडर्न वर्नाकुलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान’। इसके लेखक सर जॉर्ज ग्रियर्सन हैं।
सर जॉर्ज ग्रियर्सन ने पहली बार अपने इतिहास ग्रंथ में काल विभाजन का प्रयास किया। उनकी दूसरी उल्लेखनीय बात है- भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग मानना। उनके बाद मिश्र बंधुओ ने ‘मिश्र बंधु विनोद’ के नाम से हिंदी साहित्य का वृहद इतिहास ग्रंथ लिखा, जो चार भागों में प्रकाशित हुआ। इसके प्रथम तीन भाग 1913 ई. और चौथा 1934 ई. में प्रकाशित हुआ। मिश्र बंधुओं ने अपने ग्रंथ में लगभग 5000 कवियों का नाम सम्मिलित किया।
पहली बार मिश्र बंधुओं ने ही इतिहास लेखन के साथ कवियों की प्रवृत्तियों एवं उनके तुलनात्मक अध्ययन को स्थान दिया। इसके बाद 1929 ई. में आता है आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिंदी साहित्य का इतिहास। अपने इतिहास ग्रंथ में उन्होंने अत्यंत सरलीकृत तरीके से संपूर्ण हिंदी साहित्य को चार भागों में विभाजित किया और प्रत्येक काल के दो-दो नाम रखे। उनके द्वारा लिखित हिंदी साहित्य का इतिहास के आधार पर ही प्रमुखतः प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। उनके द्वारा दिया गया वर्गीकरण निम्नवत है-
हिन्दी साहित्य का इतिहास : काल विभाजन
1. आदिकाल/ वीरगाथा काल- 1050 से 1375 विक्रम संवत
2. पूर्व मध्यकाल/ भक्ति काल- 1375 से 1700 विक्रम संवत
3. उत्तर मध्यकाल/ रीतिकाल- 1700 से 1900 विक्रम संवत
4. आधुनिक काल/ गद्य काल- 1900 – 1984 विक्रम संवत।
(इसके बाद अगली पीढ़ी ने इस काम को आगे बढ़ाया।)
उनके द्वारा रचित ग्रंथ में हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन की विधेयवादी पद्धति का प्रयोग हुआ है।
हिन्दी साहित्य का इतिहास सम्बन्धी वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
1. हिंदी साहित्य का इतिहास लेखन की परंपरा का सूत्रपात किसने किया?
(अ) शिव सिंह सरोज
(ब) गार्सा द तासी
(स) जॉर्ज ग्रियर्सन
(द) रामचंद्र शुक्ल
उत्तर: (ब) गार्सा द तासी
2. हिंदी साहित्य का प्रारंभ कब से माना जाता है?
(अ) पांचवी सदी
(ब) आठवीं सदी
(स) दसवीं सदी
(द) 11वीं सदी
उत्तर: (स) दसवीं सदी
3. ‘द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान’ ग्रंथ किसने लिखा?
(अ) जॉर्ज ग्रियर्सन
(ब) शिव सिंह सेंगर
(स) गार्सा द तासी
(द) मिश्र बंधु
उत्तर: (अ) जॉर्ज ग्रियर्सन
4. शिव सिंह सेंगर ने ‘शिव सिंह सरोज’ में कितने लेखकों को शामिल किया?
(अ) पांच सौ
(ब) एक हजार
(स) तीन सौ
(द) दो हजार
उत्तर: (ब) एक हजार
5. हिंदी साहित्य में सर्वप्रथम काल विभाजन का प्रयास निम्न में से किसने किया?
(अ) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ब) मिश्र बंधु
(स) गार्सा द तासी
(द) जॉर्ज ग्रियर्सन
उत्तर: (द) जॉर्ज ग्रियर्सन
6. हिंदी साहित्य के भक्ति काल को स्वर्ण युग किस विद्वान ने कहा?
(अ) जॉर्ज ग्रियर्सन
(ब) रामचंद्र शुक्ल
(स) डॉक्टर रामकुमार वर्मा
(द) राहुल सांकृत्यायन
उत्तर: (अ) जॉर्ज ग्रियर्सन
7. मिश्र बंधुओं द्वारा लिखित हिंदी साहित्य के इतिहास के कितने भाग हैं?
(अ) चार
(ब) दो
(स) तीन
(द) पाँच
उत्तर: (अ) चार
8. रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास मुख्यतः कितने भागों में बांटा है?
(अ) चार
(ब) सात
(स) दस
(द) आठ
उत्तर: (अ) चार
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