कौन तुम शुभ्र किरण वसना कविता की मूल संवेदना
कौन तुम शुभ्र किरण वसना कविता की मूल संवेदना कौन तुम शुभ्र किरण वसना कविता छायावाद के प्रतिनिधि कवि …
कौन तुम शुभ्र किरण वसना कविता की मूल संवेदना कौन तुम शुभ्र किरण वसना कविता छायावाद के प्रतिनिधि कवि …
सूफी काव्य/ प्रेमाख्यानक काव्य की विशेषताएं भक्ति काल को पूर्व मध्यकाल भी कहा जाता है। इस काल को …
न को हार नह जित्त पद की व्याख्या न को हार नह जित्त, रहेइ न रहहि सूरर्वर । घर …
संजू सदानीरा की चुनी हुई कविताएं 1. मजबूत इरादों वाली औरतें, जो अपनी शर्तों पर जीती हैं अपना जीवन, नहीं …
समकालीन कविता साहित्य के अनेक जानकार नयी कविता और साठोत्तरी कविता को ही समकालीन कविता बताते रहते हैं कुछ …
भई जु आनि अबाज आय सहाबुद्दीन सुर पद की व्याख्या भई जु आनि अबाज, आय सहाबदीन सुर । आज …
निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद उभय मय पद की व्याख्या निकट नगर जब जान, जाय वरि विंद …
बज्जिय घोर निसान रान चौहान चहुं दिस पद की व्याख्या बज्जिय घोर निसान, रान चौहान चहुं दिस। सकल सूर सामंत, …
सुनि गज्जनै आवाज पद की व्याख्या सुनि गज्जनै आवाज, चढ्यो साहाबदीन बर। पुरासान सुलतान, कास काविलिय मीर घर। जंग …
उहै घरी उहि पलनि, उहै बिना पद की व्याख्या उहै घरी उहि पलनि, उहै बिना यर उहै सजि । …