प्रगतिशील समाज: कविता
प्रगतिशील हो गया है समाज
स्त्रियों के लिए:
शिक्षा की बात करता है
स्टेटस सिम्बल के लिए,
नौकरी की इजाजत देता है
घरेलू जिम्मेदारियों के साथ,
पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा भी देता है
भाई के न होने पर,
प्रेम-विवाह भी स्वीकार्य है
सजातीय होने पर,
दहलीज पार करने की भी छूट है
घड़ी की सुइयों की तर्ज पर,
फैसले लेने की आजादी है
रसोई के दायरे में,
स्त्रियों को जन्म लेने देता है
कुलदीपक होने तक,
साँस लेने देता है
उनकी नाक रखने तक.
सचमुच,
प्रगतिशील हो गया है समाज ..
© प्रीति खरवार
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