खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन को धरि कै पद की व्याख्या

 खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन को धरि कै पद की व्याख्या

 

 

खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन को धरि कै ।

भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥

 

गेरत लाल गुलाल लली, मनमोहन मौज मिटा करि कै ।

जात चली रसखान अली, मदमस्त मनी मन को हरि कै ॥

 

 

 

प्रसंग

प्रस्तुत पद कृष्ण भक्ति के अनन्य कवि रसखान द्वारा रचित है। पाठ्यक्रम में यह पद रसखान रचनावली से लिया गया है, जिसके संपादक विद्यानिवास मिश्र एवं सत्यदेव मिश्र हैं।

 

संदर्भ

खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन को धरि कै पद होली के त्योहार से संबंधित है और इसमें गोपियों का श्रीकृष्ण के साथ होली खेलने के दृश्य का सरस चित्रण है।

 

व्याख्या

कोई गोपी अथवा गोपियां श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रेमपूर्वक धर कर (पकड़ कर) उनके साथ फाग खेल रही हैं। माधुर्य भाव से भरी हुई गोपियों सौभाग्य को धारण करते हुए श्रीकृष्ण को घेर कर उनके साथ मस्त मौला होकर रंगों से खेल रही हैं। पिचकारियों में कुमकुम और केसर को भरकर अपने प्रिय कृष्ण पर उड़ेल रही हैं। श्रीकृष्ण के साथ इस भांति नैकट्य से उन्हें अत्यंत सौभाग्य की अनुभूति हो रही है। लाल गुलाल उड़ाती हुई ब्रजबाला कृष्ण को होली खेलने का हौसला दे रही है।

यहाँ गोपियों की होली खेलने की पहल देखने योग्य है। रसखान कहते हैं कि इस तरह की स्वच्छंद होली खेलकर और हरि के मन को रिझा कर उनका रंगोत्सव सफल हो गया।

 

विशेष

1.होली के मस्ती भरे दृश्य का चाक्षुष बिम्ब अत्यंत आकर्षक बन पड़ा है।

2. माधुर्य एवं दाम्पत्य भाव की भक्ति का चित्रण देखा जा सकता है।

3.प्रथम पंक्ति में भाग, सुहाग अनुरागहिं शब्दों में अनुप्रास की छटा होने के साथ-साथ आगे भी लाल, गुलाल, लली, चली, अली शब्द में वृत्यानुप्रास एवं छेकानुप्रास का सौन्दर्य विद्यमान है।

4.ब्रजभाषा का सौंदर्य द्रष्टव्य है।

5.भक्ति रस के साथ संयोग शृंगार का रसास्वादन भी किया जा सकता है।

 

 

© डॉक्टर संजू सदानीरा

 

मोर पखा सिर ऊपर राखिहौ पद की व्याख्या के लिये नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें..

https://www.duniyahindime.com/%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b0_%e0%a4%aa%e0%a4%96%e0%a4%be_%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%b0_%e0%a4%8a%e0%a4%aa%e0%a4%b0_%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a5%8c/

 

Dr. Sanju Sadaneera

डॉ. संजू सदानीरा एक प्रतिष्ठित असिस्टेंट प्रोफेसर और हिंदी साहित्य विभाग की प्रमुख हैं।इन्हें अकादमिक क्षेत्र में बीस वर्षों से अधिक का समर्पित कार्यानुभव है। हिन्दी, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान विषयों में परास्नातक डॉ. संजू सदानीरा ने हिंदी साहित्य में नेट, जेआरएफ सहित अमृता प्रीतम और कृष्णा सोबती के उपन्यासों पर शोध कार्य किया है। ये "Dr. Sanju Sadaneera" यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी शिक्षा के प्रसार एवं सकारात्मक सामाजिक बदलाव हेतु सक्रिय हैं।

1 thought on “खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन को धरि कै पद की व्याख्या”

Leave a Comment