मानुस हौं तो वही रसखान सवैये की व्याख्या
मानुस हौं तो वही रसखान सवैये की व्याख्या मानुस हौं तो वही रसखान बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। …
मानुस हौं तो वही रसखान सवैये की व्याख्या मानुस हौं तो वही रसखान बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। …
रसखान की कृष्ण भक्ति रसखान की कृष्ण भक्ति एवं काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालें । अथवा अथवा रसखान के …
तुलसीदास की भक्ति भावना : Tulsidas ki bhakti bhawna तुलसीदास का राम भक्ति शाखा में योगदान रेखांकित करें। अथवा …
मन पछितैंहैं अवसर बीते पद की व्याख्या : Man pachhitaihain avsar beete “मन पछितैंहैं अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ …
तुलसीदास रचित “ऐसो को उदार जग माहीं” पद की व्याख्या : Aeso ko udaar jag maahi ऐसो को उदार …
जो निज मन परि हरै विकारा पद की व्याख्या “जो निज मन परि हरै विकारा । तौ …
केसव कहि न जाइ का कहिये पद की व्याख्या : kesav kahi na jai ka kahiye “केसव कहि …
माधव मोह-पास क्यों छूटै पद की व्याख्या : Madhav moh paas kyo chhute “माधव मोह-पास क्यों छूटै। बाहर कोट …
अस कछु समुझि परत रघुराया पद की व्याख्या : As kachhu samujhi parat raghuraya “अस कछु समुझि परत …
राम जपु राम जपु पद की व्याख्या :Ram japu ram japu pad ki vyakhya “राम जपु राम जपु, राम …